Wednesday, 15 April 2015

A letter written to ailing Richa Didi by Ashish Bagrodia on 9th April

Dear Richa,
Whenever I wish you to visit your room late night I am afraid to visit that room because I feel I will see the suffering which you endured all alone sleeping at night or lying the entire night as you told mummy that you will be awake entire night, as you had so much pain, so much suffering. Even when you had incessant coughing, I wonder what you were doing sitting alone in the room throughout the night with the lights shut. I imagine you sitting on the bed, suffering alone and being alone in your own world, in your own shell and watching the lights outside your room in front of the bed of the Powai lake like a Marine Drive and that Hotel Beatles, etc and the nearest next door building on the other side.
I wonder what was going inside your mind Richa. I am anytime just want to sleep there in your room or at least sit against the back rest. I want to shift on the bed beyond that bed throughout the night and experienced what you must have gone through, maybe the bed will tell me stories about your sufferings?

डियर रिचा,
जब भी कभी देर रात को मेरे मन में तुम्हारे कमरे में जाने का खयाल आता था तो मैं तुम्हारे कमरे में जाने की हिम्मत यह सोचकर नहीं जुटा पाता था कि मुझे तुम्हे असहनीय पीड़ा सहते देखना पड़ेगा. मुझे मम्मी ने बताया था कि तुम दर्द के कारण रात भर सो नहीं पाती हो. जब तुम्हे लगातार खांसी होती थी, तो मैं सोचता रहता था कि तुम पूरी रात लाइट बंद करके अकेले कैसे बैठी रहती हो...अकेले बैठे बैठे क्या करती हो?..मेरे मन में बार बार यह दृश्य घूमता रहता है कि तुम पूरी रात अकेले बिस्तर पर बैठी हो, अपनी दुनिया में एकदम अकेले... बैड पर बैठे हुए पीड़ा भोगते हुए अपने कमरे से बाहर की रोशनी निहारते हुए ...तो कभी होटल बीटल की और ताकते हुए तो कभी मरीन ड्राइव की तरह पवई लेक या दूसरी तरफ निकटतम किसी बिल्डिंग को को देखते हुए...पता नहीं तुम्हारे मन क्या गुजर रही है...मैं कभी भी तुम्हारे कमरे में तुम्हारे सोना चाहता हूँ या कम से कम पूरी रात तुम्हारे कमरे में रुक कर तुम्हारी पीड़ा को समझना चाहता हूँ...हो सकता है की तुम्हारा बिस्तर ही तुम्हारी पीड़ा का बयान कर दे.....आशीष बागरोडिया



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