Monday, 20 April 2015

Today on the 13 th april 2015

Today was 13th of April,2015 after the Sufi singers went I had spend some time socializing with your art of living gang  and then I was there in your room ,  but today I almost misused your room to finish some work ( to meet some office staff who were waiting )  because I wanted to sit there for longer time and be with you.

Though I was doing some work, dictating messages I also met few people ( in your room ) and also I drank coffee and had some namkeen but still my thoughts were all on you.



You are aware of it, isn't it?

When I came out Mummy was sitting there with Santosh, later on Ravi again from your Art of Living gang was there. They both left soon.


I really like this Ravi today, for the first time. He took great photos Richa, he has strong, steady hands that’s why he can handle that heavy camera with a heavy lens.

Mummy started crying, thinking about you, she asked Sunni sister did Richa cry and how much she cry. Mummy said “yahi thi us din jab maine Richa se baat ki” Then she asked Sunni nurse Did Richa Cry, Sunni Nurse said yes, then Mummy asked does she ( you )  cry a lots, Sunni Nurse said yes, then Mummy felt bad and Mummy really cried.



What to do Richa, what to do.


I really want to know what was your ‘mano stithi’ at that time when mummy spoke to you and said all that (Tum Sharnagati ho jao)

You must have felt  bad, isn't it? How bad did you feel only you know? By hind sight I think of it as  terrible. I feel as if I am being abandoned  by my mother which is such a terrible feeling.

I was telling  mummy I wish if she ( you )  had to go she  ( you ) should have  gone at home not in the icu of a hospital ,  at least you ( mummy  )  and me would have been around her ( you , richa ) . I wish Richa if at all you had to go, you should have left from our home from your room,  me and Mummy and Papa all of us should have  been  with you

Richa  what was the state of your  mind when mummy told you to leave as you were suffering so much ,  and what happened after that, How much did you  suffer. What happened inside you, when did you  have exactly leave, please let me know !

Ashish Bagrodia


आज की तारीख़ 13 अप्रैल, 2015, सूफी गायकों के जाने के बाद कुछ समय आर्ट ऑफ़ लिविंग के गैंग के साथ गुजारने के बाद मैं तुम्हारे कमरे में पहुंचा. लेकिन मैंने अपना काम निपटाने के लिए (प्रतीक्षा करते हुए ऑफिस के स्टाफ से मिलने के लिए) आज फिर तुम्हारे कमरे का दुरुपयोग किया...ऐसा इसलिए किया ताकि मैं अधिक देर तक तुम्हारे कमरे में रह सकूं...   
वैसे तो में कुछ काम कर रहा था जैसे कि मेसेज डिक्टेट कर रहा था...मैंने काफी भी पी....कुछ नमकीन भी खाया...लेकिन मैं तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था... क्या तुम्हारा ध्यान इस पर  गया ? जब मैं बाहर आया तो मम्मी संतोष के साथ बैठी थी...बाद में तुम्हारे आर्ट ऑफ़ लिविंग के गैंग में से रवि भी वहां दिखाई दिया.....दोनों वहां से जल्दी ही निकल गए..मुझे तुम्हारे आर्ट ऑफ़ लिविंग के गैंग में से पहली बार रवि बहुत पसंद आया. उसने बहुत ही कमाल की फोटोज खींची...अपने मजबूत और स्थिर हाथों के कारण वो उस भारी भरकम लैंस वाले इस भारी कैमरे को संभाल पा रहा था....
मम्मी ने तुम्हारे बारे में सोचते हुए रोना शुरू कर दिया...उन्होंने सिस्टर सनी से पूछा कि ‘ऋचा कितना रोई है’   
मम्मी ने कहा “ यहीं थी उस दिन जब मैंने ऋचा से बात की” तब उन्होंने नर्स सनी से पूछा “क्या ऋचा रोई थी?” सनी नर्स ने जबाव दिया-“हाँ”...तब मम्मी ने पूछा –“क्या वो बहुत ज्यादा रोई थी ?” सनी नर्स ने जबाव दिया-“हाँ”...यह सुनकर मम्मी को बहुत बुरा लगा और वो वास्तव में रोई.  
ऋचा क्या किया जाए...क्या करें ???
मैं वास्तव में तुम्हारी उस समय की मनोस्थिति जानना चाहता हूँ जब मम्मी ने तुमसे बात करते हुए सीधे सीधे कहा -“तुम शरणागति हो जाओ” तुम्हे वास्तव में बहुत बुरा लगा होगा...अघात लगा होगा...लगा था न ? अपने अंतर्मन में झाँकता तो प्रतीत होता है कि बहुत ही आधातपूर्ण अनुभव रहा होगा...ऐसा लगा होगा मानों सब से अलग थलग कर दिया हो...कितना भयानक अनुभव रहा होगा...पर कैसा लगा होगा यह तो वास्तव में तुम्हें ही पता होगा...मैं मम्मी से कह रहा था की अगर उसे जाना ही है तो अस्पताल के आई सी यू से क्यों...घर से क्यों नहीं...कम से कम हम हम दोनों तो आखिरी समय में उसके साथ रहें...रिचा अगर तुम्हें जाना ही था तो अपने घर से जाती..अपने कमरे से जाती...मैं, मम्मी और पापा तो तुम्हारे पास होते... ऋचा, आखिर तुम्हारे मन की स्थिति कैसी होगी जब मम्मी ने तुम्हे पीड़ा से आजाद होने के लिए जाने के लिए कहा होगा...तुम पर क्या गुजरी होगी जब तुमने ठीक हमें छोड़ा होगा...प्लीज मुझे बताओ..
आशीष बागरोडिया...

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